प्रेगनेंसी से जुड़े ऐसे मिथक जिनका सच हर महिला को पता होना जरूरी है !
प्रेगनेंसी से जुड़े ऐसे मिथक जिनका सच हर महिला को पता होना जरूरी है !
नई दिल्ली। प्रेग्नेंसी के दौरान आपको कई तरह की सलाह सुनने को मिलती हैं। खासतौर पर क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए। प्रेग्नेंसी में डाइट से जुड़े कई तरह के मिथक आपने सुने होंगे। खाने की कई चीज़ों को इस दौरान न खाने की सलाह दी जाती है, ऐसा माना जाता है कि ये गर्भवती होने से रोकते हैं, प्रजनन क्षमता को प्रभावित करते हैं और शुरूआती गर्भावस्था में गर्भपात की संभावना बनाते हैं।
गर्भधारण के पहले शरीर में संतुलित आहार के साथ सभी पोषक तत्वों का जाना बेहद ज़रूरी होता है। ऐसे में किसी मिथक या शक के कारण सही पोषक तत्व वाले खाद्य पदार्थ को नज़रअंदाज करना सही नहीं है।
कामायनी नरेश, स्वास्थ्य विशेषज्ञ और ज़ायरोपैथी के संस्थापक का कहना है, "एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देने के लिए शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ माता-पिता की आवश्यकता होती है, जिसके लिए पौष्टिक आहार की अहम भूमिका होती है। पौष्टिकता की कमी के कारण प्रजनन के लिए स्वस्थ स्पर्म और अंडे नहीं बनते जिसके कारण अधिकांश नवविवाहित महिला गर्भधारण नहीं कर पाती।"
आइए एक नज़र डालते हैं प्रेग्नेंसी और उस दौरान डाइट को लेकर मिथकों पर:
पहला मिथक: ऐसी धारणा है कि पपीता और अनानास जैसे फल और जेली व हरे केले जैसी ठंडी चीज़ों को खाने से गर्भपात हो सकता है।
सच: डॉ. विनीता साहनी, स्त्री रोग विशेषज्ञ, माई लाइफ केयर, स्वास्थ्य सेवा ऐप (कंसलटेंट) कहा कहना है कि लोगों में ऐसी धारणा है कि पपीता और अनानास जैसे फल खाने के साथ ठंडी चीज़ें खाने से गर्भपात हो सकता है, लेकिन अभी तक किसी शोध में यह साबित नहीं हुआ है कि इन फलों को खाने से गर्भपात हो सकता है। अच्छी तरह से पका हुआ पपीता सुरक्षित है और विटामिन-ए, बी और पोटेशियम का एक उत्कृष्ट स्रोत है, जो बच्चे के विकास के लिए फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, यह कच्चा या अर्ध-पका हुआ पपीता है जिसे खाने से बचना चाहिए क्योंकि इसमें पैपिन होता है, जो ऑक्सीटोसिन और प्रोस्टाग्लैंडीन जैसे हार्मोन के स्राव को बढ़ा सकता है। ये हार्मोन गर्भाशय के संकुचन (कन्ट्रैक्शन) का कारण बन सकते हैं और नियत समय से पहले जन्म दे सकते हैं। प्रोटीन, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट और स्वस्थ वसा - आपको और आपके बच्चे को स्वस्थ रखेगी। अगर आप अभी भी अनानास जैसे कुछ खाद्य पदार्थों के बारे में चिंतित हैं, तो उन्हें दूसरे प्रकार से बदलें ताकि आपको अभी भी पर्याप्त विटामिन, खनिज और फाइबर मिल सके।
दूसरा मिथक: ऐसा सुनने में आता है कि गर्भवती होने पर आपको दो लोगों के लिए खाना चाहिए। इसलिए ज़्यादा खाएं और जो पसंद है वो खाएं।
सच: ऐसा करने से आपका अनावश्यक वज़न बढ़ जाएगा जिसे बाद में कम करना मुश्किल होगा और जो आपके और आपके बच्चे दोनों के स्वास्थ्य को ख़तरे में डाल सकता है। इसके बजाय, अपने आहार की गुणवत्ता पर ध्यान दें। वसा, नमक और चीनी कम करें लेकिन साबुत अनाज, फल, सब्ज़ियां, फलियां और कम वसा वाले डेयरी उत्पादों का सेवन बढ़ाएं।
तीसरा मिथक: हल्के रंग का खाना खाने से बच्चे का रंग साफ होगा।
सच: त्वचा का रंग अनुवांशिक होता है और कोई भी खाना इसे बदल नहीं सकता। कुछ खाने की चीज़ों से परहेज़ करने से हो सकता है कि आपको अपनी गर्भावस्था के लिए आवश्यक पोषक तत्व न मिलें।
चौथा मिथक: औषधियां और टॉनिक के सेवन से बच्चा ज़्यादा बुद्धिमान होगा। ऐसी कई हर्बल चाय और टॉनिक्स हैं, जो गर्भवती महिलाओं के लिए बाज़ार में उपलब्ध होती हैं।
सच: इस तथ्य के समर्थन में कोई मेडिकल और वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
5वां मिथक: कई लोग आपको यह कहकर फुल क्रीम दूध पीने की सलाह देते हैं, कि यह अधिक पौष्टिक होता है।
सच: कम वसा और स्किम दूध उत्पादों में उतने ही पोषक तत्व होते हैं, जितने फुल-क्रीम दूध में होते हैं। इनमें कम संतृप्त वसा होती है जो गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए स्वस्थ और कम कैलोरी का विकल्प साबित होते हैं।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।